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Showing posts from December 11, 2017

शायरी

कॅलेंडर में दिन तो बहुत होते हैं . बस दिन गिन्ते गिन्ते ज़िन्दगी गुजर जानी है. क्या खोया क्या पाया हिसाब करना बाकी रह गया जी रहा हूँ यूँही बस अभिभी किश्ते थोडी बाकी है. Rajan Gaikwad वो राते मुलाकाते शायद हि भूल सकू बिखरी यादोंको भी समेटना था शायद ही उतना जी सकु ... Rajan Gaikwad Phale subah aati thi ek hasin muskan bankar Aur ab din dhal gaya kaise kisiko khabar nahi. Rajan Gaikwad रोज मर्रा की जिंदगी में ख्वाब देखना भी एक ख्वाब सा बन गया है। सुकून भरी नींद मिले बस इतना सा ख्वाब बन गया है। Rajan Gaikwad रिश्तों को समझने में पुरी जिंदगी निकल जाती है।  और उसे निभाते निभाते सारी उम्र निकल जाती है। Rajan Gaikwad जोडते जोडते जुडना मैने जुडते हुए सिखा  और तुटते हुए तारे को देख एक नया सपना देखा  Rajan Gaikwad शर्म भी जिंदा थी कभी इस अंजान दुनिया में.  शर्म अब शरमिंदा होके बेशरम हो गयी दुनियादारी मी उलझके.  Rajan Gaikwad रिश्तों को समझने में पुरी जिंदगी निकल जाती है।  और उस...